रिपोर्ट: लक्ष्मी बघेल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने 73वें जन्मदिन के अवसर पर 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती के दिन पर पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना की शुरुआत करेंगे। पीएम मोदी की विश्वकर्म योजना से पारंपरिक शिल्प में लगे लोगों को सहायता मिलेगी। इस योजना को 13,000 करोड़ रुपये के साथ सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा फंडिंग किया जाएगा।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत सी योजनाएं बनाई है। ऐसी ही एक नई योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने 73वें जन्मदिन पर 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर विश्वकर्मा योजना लॉन्च करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्वकर्मा जयंती के दिन कलाकारों, शिल्पकारो और पारंपरिक कौशल से जुड़े लोगों को सहायता के लिए पीएम विश्वकर्मा नामक एक नहीं पहन की घोषणा करेंगे। इस योजना के तहत मोदी पारंपरिक शिल्प से जुड़े लोगों को आर्थिक रूप से मदद करने को प्राथमिकता देंगे। बल्कि स्थानीय वस्तुओं कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति और अनूठी विरासत को जीवित और समृद्ध बनाए रखना को भी प्राथमिकता दी है। पीएम मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस योजना की घोषणा की थी।

जिसका मोदी ने शुरू में स्वतंत्रता दिवस पर वादा किया था, 13,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से सहमति होगी। इस योजना के तहत बायोमेट्रिक-आधारित पीएम विश्वकर्मा साइट का उपयोग करके संभावित लाभार्थियों को सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से मुफ्त में नामांकित किया जाएगा। सरकार द्वारा पीएम विश्वकर्म योजना के लिए 13000 करोड रुपए की मंजूरी की गई है।

इस योजना के तहत सुनारों, लोहार, कपड़े धोने वालों श्रमिक ऑन और नई सहित लगभग 30 लाख पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को लाभ मिलेगा। इस योजना के लक्षित लाभार्थियों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से मान्यता मिलेगी, बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण से जुड़े कौशल उन्नयन, 15,000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन, लाख रुपये तक संपार्श्विक-मुक्त क्रेडिट सहायता (पहली किश्त) और 2 लाख (दूसरी किश्त) ) 5% रियायती ब्याज दर पर, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और विपणन सहायता भी होगा।

पीएम विश्वकर्म योजना का उद्देश्य “गुरु-शिष्य परंपरा” या प्राचीन कौशल की परिवार-आधारित प्रथा को बढ़ावा देना है। योजना का प्राथमिक लक्ष्य कारीगरों और शिल्पकारों की वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार करना है। इस योजना के तहत पूरे भारतवर्ष के सभी ग्रामीण और शहरी शिल्प और कारीगरों को मदद मिलेगी। बढ़ई, नाव बनाने वाले, हथियार बनाने वाले, लोहार, हथौड़ा और टूल किट बनाने वाले, ताला बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाले, मोची, राजमिस्त्री, टोकरी/चटाई/झाड़ू बनाने वाले और जटा बुनने वाले, गुड़िया और खिलौने बनाने वाले, नाई, माला बनाने वाले , धोबी; दर्जी और मछली पकड़ने के जाल बनाने वाले शामिल होंगे।

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