एआईकेएससीसी ने खुला पत्र जारी कर कहा है कि केंद्र सरकार विदेशी पूंजी के पीछे जितना ज्यादा भागेगी, संघर्ष उतनी ही मजबूती के साथ आगे बढ़ेगा. एआईकेएससीसी ने कहा है कि मोदी सरकार खेती को कारपोरेट, बहुराष्ट्रीय कंपनियों और विदेशी निवेशकों के विकास का आधार समझकर बुनियादी गलती कर रही है.

केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान कड़कड़ाती सर्दी में भी दिल्ली की सीमा पर डटे हैं. केंद्र सरकार की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि किसानों की ठोस समस्याओं का समाधान कर दिया गया है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता किसान आंदोलन को राजनीतिक दलों की ओर से हाईजैक किए जाने के आरोप लगा रहे हैं. वहीं, अब इसे लेकर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने खुला पत्र जारी किया है

एआईकेएससीसी ने खुला पत्र जारी कर कहा है कि केंद्र सरकार विदेशी पूंजी के पीछे जितना ज्यादा भागेगी, संघर्ष उतनी ही मजबूती के साथ आगे बढ़ेगा. एआईकेएससीसी ने कहा है कि मोदी सरकार खेती को कारपोरेट, बहुराष्ट्रीय कंपनियों और विदेशी निवेशकों के विकास का आधार समझकर बुनियादी गलती कर रही है. सरकार को चाहिए कि वह उन 70 करोड़ किसानों की मदद करे जो आजीविका के लिए खेती पर निर्भर हैं, विदेशी निवेशकों की नहीं. नए कानूनों से कृषि पर निर्भर 70 करोड़ किसानों की आजीविका दांव पर लग गई है.

एआईकेएससीसी ने केंद्र सरकार की ओर से आए ठोस समस्याओं के समाधान संबंधी बयानों को झूठ बताते हुए इसके खिलाफ अभियान शुरू करने का ऐलान किया. एआईकेएससीसी ने कहा है कि ये कानून खेती के बाजार से सरकारी नियंत्रण हटा देंगे और कंपनियां, बड़े व्यावसायी अन्न का मुक्त भंडारण शुरू कर देंगे. बिजली की दर में छूट समाप्त कर दी जाएगी. आंदोलनकारी किसानों के विपक्षी दलों की ओर से संगठित होने के आरोपों को खारिज करते हुए समिति ने याद दिलाया है कि पंजाब में आंदोलन के जोर पकड़ने पर सियासी दल समर्थन देने पहुंचे.

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