Source-BBCNews.Com
उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए इस बार यहां की सर्द वादियों में चुनावी सुगबुगाहट की गर्मी, स्थापित राजनीतिक पार्टियों के बजाय आम आदमी पार्टी ने भरी है. पार्टी ने अगले चुनावों में पूरे दमखम के साथ सभी 70 सीटों में चुनाव लड़ने का दावा किया है.उत्तराखंड की राजनीति पर नज़र रखने वाले जानकारों का मानना है कि आम आदमी पार्टी के आने से यहां राजनीति के समीकरण बदल सकते हैं. इसी सिलसिले में बीते हफ़्ते के आख़िर में पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया संगठन को मजबूती देने अपने दो दिवसीय उत्तराखंड दौरे पर थे.सत्तारूढ़ त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार पर हमलावर होते हुए उन्होंने हल्द्वानी में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, “मैं चुनौती देते हुए कहता हूं कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी के पास ऐसी पांच चीजें नहीं हैं जिन्हें लेकर वे कह सकें कि मैंने उत्तराखंड की जनता के लिए की हैं और जिसकी वजह से उत्तराखंड के लोगों के जीवन में पॉज़िटिव बदलाव आया है.”मनीष सिसोदिया और पार्टी के दूसरे नेताओं का दावा है कि पार्टी दिल्ली की तर्ज पर उत्तराखंड के शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी जैसे ‘असल मुद्दों’ पर चुनाव लड़ेगी.
आम आदमी पार्टी, उत्तराखंड की प्रवक्ता उमा सिसोदिया कहती हैं, “उत्तराखंड में मौजूदा विपक्ष पर जनता का कोई यक़ीन नहीं है. कांग्रेस इतने गुटों में बंटी हुई है कि उनका कोई सर्वमान्य नेता ही नहीं जिसके नीचे वे चुनाव लड़ सकें. उत्तराखंड क्रांति दल पहले ही पूरी तरह ख़त्म हो चुकी है. ऐसे में हमारी रणनीति यही है कि मौजूदा सरकार से पूरी तरह असंतुष्ट जनता के सामने हम आम आदमी पार्टी को विकल्प के रूप में रख पाएं.”
हालांकि उत्तराखंड की राजनीति में पूरी तरह वर्चस्व रखने वाली दोनों राष्ट्रीय पार्टियां, भाजपा और कांग्रेस यह दिखाने की कोशिश कर रही हैं कि आम आदमी पार्टी ने उनके माथे पर कोई बल नहीं डाला है. दोनों की ही राय है कि आम आदमी पार्टी उत्तराखंड की मौजूदा राजनीति पर हल्का सा डेंट भी नहीं लगा पाएगी.