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राजधानी में हर दिन स्नैचिंग के लगभग 25 मामले आधिकारिक रूप से दर्ज किए जाते हैं। लेकिन दिल्ली में इस अपराध से निपटने के लिए कोई कानून नहीं है। वहीं, हरियाणा ने चोरी के लिए धारा 379 में दो सेक्शन 379 ए और 379 बी जोड़कर स्नैचिंग को गैर जमानती अपराध बना दिया है।

स्नैचिंग केस सेक्शन 379 (चोरी) के सेक्शन 356 (चोरी के दौरान हमला या बल) के तहत दर्ज होते हैंचोरी के अधिकतर मामले में शिकायतकर्ता के पीछे हटने के कारण सजा की दर बहुत कम हैपहले स्नैचिंग के मामले सेक्शन 392 (लूट) में दर्ज होते थे, जो कोर्ट में लीगल ग्राउंड पर टिक नहीं पाते थे

दिल्ली के आदर्श नगर में चेन स्नैचिंग की घटना में सिमरन कौर की हत्या के बाद एक बार फिर स्नैचिंग से निपटने को लेकर कानून पर सवाल उठ रहे हैं। यह सुनने में भले ही अजीब लगेगा लेकिन दिल्ली समेत कई राज्यों में स्नैचिंग से निपटने के लिए आईपीसी में अलग से कोई कानून नहीं है। आज की तारीख में स्नैचिंग केस जुगाड़ के जरिये सेक्शन 379 (चोरी) के सेक्शन 356 (चोरी के दौरान हमला या बल) के तहत दर्ज होते हैं। दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में प्रावधान कई साल पहले किया था।

हरियाणा दिखा चुका है राहपांच साल पहले, हरियाणा सरकार ने स्नैचिंग के अपराध से निपटने के लिए कानून में संशोधन किया था। सरकार ने इसे गैर-जमानती अपराध बना दिया। TOI 2015 से इस मुद्दे को उठा रहा है। राजधानी में हर दिन स्नैचिंग के 25 मामले आधिकारिक रूप से दर्ज किए जाते हैं, लेकिन दिल्ली में इस अपराध से निपटने के लिए कोई कानून नहीं है। हरियाणा ने चोरी की धारा 379 – 379 ए और 379 बी जोड़ दिए। हरियाणा सरकार ने स्नैचरों की जानकारी के लिए इनाम भी देने की घोषणा कर रखी है।स्नैचिंग मामले में अधिक 10 साल तक की सजाराजधानी में जिन दो सेक्शन 379 और 356 के तहत मामले दर्ज होते हैं उनमें से पहली सेक्शन में अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है। वहीं दूसरी में दो साल की सजा का प्रावधान है।

वहीं हरियाणा ने कानून में संशोधन कर स्नैचिंग के मामले में 379ए के तहत 5 से 10 साल की सजा के साथ 25 हजार रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान है। 379बी में अधिकतम सजा 14 साल तक हो सकती है। इसमें भी 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान

स्नैचिंग मामले में सजा मिलने की दर कम

स्नैचिंग के मामले पहले सेक्शन 392 (लूट) के तहत दर्ज होते थे। इस में दस साल की कड़ी सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान था। लेकिन पुलिस की तरफ से दर्ज किए गए मामले लीगल ग्राउंड पर कोर्ट में टिक ही नहीं पाते। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर मामले में शिकायतकर्ता के पीछे हटने के कारण स्नैचिंग के मामले में सजा मिलने की दर बहुत कम है। वहीं, अक्सर संदिग्धों की पहचान परेड के माध्यम से शिनाख्त भी नहीं हो पाती है। इसकी वजह वारदात के समय उनका हेलमेट पहनना होता है। वहीं उनके पास से बरामद फोन भी चोरी का होता है।

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ग्रेटर नोएडा: नारियल पानी खरीद रही महिला की चेन खींचकर ले गए लुटेरे, देखें विडियोकुछ ही दिन में रिहा हो जाते हैं आरोपीस्नैचिंग के मामले के जांच अधिकारियों के अनुसार सजा मिलने की कम दर का एक कारण स्नैचर लूटी गई गोल्ड चेन को पिघला देते हैं। ऐसे में पुलिस केस साबित करने के लिए केस प्रॉपर्टी नहीं मिल पाती है। अधिकतर मामले में कुछ ही दिनों में आरोपी रिहा हो जाते हैं।

पुलिस रिकॉर्ड में इसलिए कम रहे स्नैचिंग के केस

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